प्राइम टाइम इंट्रो : लड़कों की दादागीरी से लड़ती लड़कियां
प्रकाशित: मई 19, 2017 09:22 PM IST | अवधि: 6:01
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लोकतंत्र की एक खूबी यह है कि वह कोई ठोस पदार्थ नहीं है. लोकतंत्र तरल पदार्थ है, इसलिए आज की राजनीति में प्रॉपेगेंडा के द्वारा इसे ठोस पदार्थ में बदलने का प्रयास होता रहता है. मतदान करने की उम्र भले ही 18 साल हो, मगर लोकतंत्र में भागीदारी की कोई उम्र नहीं हो सकती है. किसने सोचा था कि हरियाणा के रेवाड़ी ज़िले की 9वीं और 10वीं की 80 से अधिक लड़कियां धरने पर बैठ जाएंगी और सरकार से अपनी मांग मनवा लेंगी. यह कोई साधारण कामयाबी नहीं है बल्कि लोकतंत्र में भागीदारी की हमारी समझ को बदलती भी है.